देश में लंबे समय से एक बड़ी चुनौती के रूप में देखी जा रही बेरोजगारी के मोर्चे पर अब एक अच्छी खबर सामने आई है। जुलाई 2025 में भारत की बेरोजगारी दर में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है, जो देश की अर्थव्यवस्था में सुधार और रोजगार के नए अवसरों का संकेत है। यह बदलाव न केवल लाखों युवाओं के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि श्रम बाजार की स्थिति को भी मजबूत बना रहा है।
बेरोजगारी दर में सुधार
हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल जून 2024 में जहां बेरोजगारी दर 5.6% थी, वहीं इस साल जुलाई 2025 में यह घटकर 5.2% पर आ गई है। यह गिरावट दर्शाती है कि देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन की प्रक्रिया अब धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है।
किसे मिला सबसे ज्यादा फायदा?
इस बदलाव का सीधा असर सेवा (Service) और विनिर्माण (Manufacturing) क्षेत्रों में देखने को मिला है। इन दोनों सेक्टरों में नौकरियों की संख्या में बढ़ोतरी से युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त हुए हैं।
-
शहरी क्षेत्रों में रिटेल, ट्रांसपोर्ट, मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में नौकरियों की मांग में इजाफा हुआ है।
-
वहीं, ग्रामीण इलाकों में मनरेगा और मौसमी कामों के चलते लोगों को रोजगार मिला है, जिससे ग्रामीण बेरोजगारी में भी गिरावट आई है।
LFPR और WPR में वृद्धि
लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (LFPR) और वर्कर पॉप्युलेशन रेशियो (WPR) जैसे संकेतकों में भी सुधार देखने को मिला है:
-
ग्रामीण पुरुषों के लिए LFPR जुलाई 2025 में 78.1% रही, जबकि शहरी पुरुषों के लिए यह 75.1% दर्ज की गई।
-
ग्रामीण क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए WPR 54.4% हो गया है, जो जून में 53.3% था।
-
शहरी क्षेत्रों में यह दर जुलाई में 47.0% रही, जो जून में 46.8% थी।
इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि कामकाजी आबादी की भागीदारी में सुधार हुआ है और अधिक लोग अब सक्रिय रूप से रोजगार से जुड़े हैं।
महिलाओं की भागीदारी में भी वृद्धि
एक और सकारात्मक पहलू यह रहा कि ग्रामीण महिलाओं की श्रम बल भागीदारी दर में भी वृद्धि हुई है।
-
जून 2025 में जहां यह दर 35.2% थी, वहीं जुलाई में यह बढ़कर 36.9% हो गई है।
यह संकेत है कि ग्रामीण महिलाएं अब पहले से अधिक संख्या में कामकाजी जीवन का हिस्सा बन रही हैं, जो सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से एक सकारात्मक बदलाव है।
चुनौतियां अभी भी बाकी
हालांकि ये आंकड़े राहत देने वाले हैं, फिर भी स्थायी और औपचारिक नौकरियों की कमी अब भी एक गंभीर चुनौती है। कई क्षेत्रों में अभी भी अनौपचारिक रोजगार या अस्थायी नौकरियों का बोलबाला है, जिससे कर्मचारियों को सुरक्षा, स्थायित्व और भविष्य की योजनाओं में सहयोग नहीं मिल पाता।
भविष्य की राह
देश की सरकार और नीति निर्माताओं के लिए यह समय बेहद महत्वपूर्ण है। यदि रोजगार सृजन की यह गति बनी रही और स्किल डेवलपमेंट जैसे कार्यक्रमों को मजबूती दी गई, तो आने वाले वर्षों में भारत न केवल बेरोजगारी दर को और घटा सकेगा, बल्कि विकसित राष्ट्रों की कतार में भी मजबूती से खड़ा हो सकेगा।
निष्कर्ष
जुलाई 2025 में बेरोजगारी दर में आई गिरावट निश्चित रूप से एक सकारात्मक संकेत है। यह दर्शाता है कि सरकारी प्रयास, उद्योगों की रिकवरी, और नवीन अवसरों का निर्माण अब रंग ला रहा है।
युवाओं, महिलाओं और ग्रामीण भारत के लिए यह बदलाव आशा की एक नई किरण लेकर आया है। अब आवश्यकता है इस सकारात्मक दिशा को बरकरार रखने और स्थायी, सुरक्षित रोजगार की ओर बढ़ने की। यदि यही रफ्तार बनी रही, तो वह दिन दूर नहीं जब भारत एक सशक्त और आत्मनिर्भर कार्यबल के साथ वैश्विक मंच पर अपने आप को और मजबूती से स्थापित करेगा।