फिक्की फ्रेम्स 2025 के उद्घाटन सत्र में अभिनेता आयुष्मान खुराना ने एक बेहद ईमानदार और विचारोत्तेजक प्रस्तुति दी, जिसने दर्शकों को न सिर्फमनोरंजन की भूमिका पर सोचने के लिए मजबूर किया, बल्कि उस संतुलन पर भी जो एक कलाकार को सामाजिक विषयों और जनता की पसंद केबीच बनाना पड़ता है।
अपने अब तक के करियर के सफ़र पर बात करते हुए आयुष्मान ने खुलासा किया, "मैंने पहले दिन से ही हमेशा हाइब्रिड फ़िल्में की हैं—विक्की डोनरसे लेकर दम लगा के हईशा और शुभ मंगल सीरीज की फिल्मे। मैंने हमेशा शैलियों के मिश्रण में विश्वास किया है।" उनका मानना है कि इन फिल्मोंका "जोखिम-से-लाभ अनुपात" अक्सर कम आंका जाता है, क्योंकि ये फिल्में भले ही विषय के लिहाज़ से भारी होती हैं, लेकिन बजट में सीमित औरप्रबंधन योग्य होती हैं।
सोशल मैसेज और एंटरटेनमेंट को एक साथ पिरोने की अपनी खासियत पर उन्होंने कहा, "हम सामाजिक मुद्दों को मनोरंजन के साथ मिलाते थे, और यहमेरे रंगमंचीय व्यक्तित्व का ही विस्तार है, जो फिल्मो में चल रहा हैं।" लेकिन इसके साथ ही उन्होंने एक सख्त लेकिन ज़रूरी चेतावनी दी: "मनोरंजन कामहत्व हमेशा संदेश पर हावी होना चाहिए।" उन्होंने दर्शकों की तुलना बच्चों से करते हुए कहा, "उन्हें मीठी गोली में लिपटी दवा देनी होती है। वरना वेइसका आनंद नहीं ले पाएँगे।"
अब जब आयुष्मान अपनी पहली दिवाली रिलीज़ ‘थम्मा’ के साथ आ रहे हैं—जो कि एक हॉरर-कॉमेडी है और मैडॉक फिल्म्स की यूनिवर्स का हिस्सा है—उनकी बातें यह स्पष्ट करती हैं कि वह आज भी उन कुछ अभिनेताओं में से हैं जो मनोरंजन के ज़रिए समाज से बातचीत करना जानते हैं।