मुंबई, 08 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (UNHCR) की ओर से भारत में प्रवासियों को शरणार्थी कार्ड जारी करने की प्रक्रिया पर सख्त टिप्पणी की। न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने सुनवाई के दौरान कहा कि ऐसा लगता है जैसे UNHCR ने भारत में “शोरूम खोल रखा है” और यहां खुलेआम प्रमाणपत्र बांटे जा रहे हैं। दरअसल, अदालत में एक सूडानी नागरिक की याचिका पर सुनवाई हो रही थी, जो 2013 से भारत में रह रहा है। उसने अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए अंतरिम संरक्षण की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि उसकी पत्नी और दो बच्चे हैं, जिन्हें UNHCR ने शरणार्थी कार्ड जारी किया है, और वह ऑस्ट्रेलिया में शरण लेना चाहता है। उसके वकील का कहना था कि जिन लोगों को शरणार्थी कार्ड मिलता है, उन्हें विदेशियों के पंजीकरण कार्यालय और मानवाधिकार मंत्रालय अलग ढंग से देखते हैं। यह प्रक्रिया लंबी होती है और इसमें विस्तृत जांच की जाती है। इस पर न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने कहा कि वे इस मामले पर अधिक टिप्पणी नहीं करना चाहते, लेकिन यह निस्संदेह एक गंभीर मुद्दा है।
वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील मुरलीधर ने बताया कि पिछले दो महीनों में दिल्ली में अफ्रीकी प्रवासियों को बिना किसी ठोस कारण के हिरासत में लेने की कार्रवाई बढ़ गई है। इस कारण याचिकाकर्ता को भय है, इसलिए उसने अंतरिम सुरक्षा मांगी थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सूडानी व्यक्ति की याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह ऑस्ट्रेलिया जाने के लिए औपचारिक प्रयास करे। साथ ही, कोर्ट ने उसे यह अनुमति दी कि यदि उसे अतिरिक्त सुरक्षा की जरूरत हो, तो वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से संपर्क कर सकता है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अंतरिम संरक्षण की याचिका अस्थायी सुरक्षा के लिए होती है, जिससे किसी व्यक्ति के खिलाफ तब तक कोई कार्रवाई न की जाए जब तक कि मुख्य मामले पर फैसला न आ जाए।