ब्रिटेन में चचेरे-ममेरे भाई-बहन (First Cousin) के बीच विवाह आज भी कानूनी रूप से वैध है, जो देश के कानून में लंबे समय से चली आ रही एक प्रथा है। हालाँकि, पिछले कुछ सालों से इस कानूनी प्रावधान को लेकर देश में एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। स्वास्थ्य जोखिम, खासकर आनुवंशिक बीमारियों के बढ़ते खतरों को देखते हुए, और सांस्कृतिक परंपराओं के बीच संतुलन साधने के मुद्दे पर बहस तेज हो गई है।
कौन होते हैं फर्स्ट कजिन?
फर्स्ट कजिन ऐसे रिश्तेदार होते हैं जिनका संबंध आपके माता-पिता के भाई-बहन (चाचा, मामा, मौसा, बुआ या फूफा) के बच्चों से होता है। ये रिश्तेदार सगे भाई-बहन नहीं होते हैं, लेकिन इनका आपस में दूर का खून का रिश्ता होता है। पश्चिमी देशों में इसे आम तौर पर 'सिंपली कजिन' के नाम से जाना जाता है, जबकि भारत जैसे देशों में इसे चचेरा, ममेरा, फुफेरा या मौसेरा भाई-बहन कहा जाता है।
क्यों निभाई जाती है यह प्रथा?
फर्स्ट कजिन मैरिज की प्रथा मुख्य रूप से मुस्लिम और इस्लामिक मान्यताओं वाले समाजों में अपनाई जाती है। ऐतिहासिक रूप से, ऐसी शादियाँ कई कारणों से पसंद की जाती थीं:
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पारिवारिक एकजुटता: यह प्रथा परिवार के भीतर आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने और संपत्ति को बाहर जाने से रोकने में मदद करती थी।
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वंश वृद्धि: यह सुनिश्चित करती थी कि बच्चे 'अपने खून' के हों और पारिवारिक परंपराएं जारी रहें।
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सामाजिक समर्थन: पहले के समय में, बंद समुदायों में ये विवाह सामाजिक समर्थन और सुरक्षा सुनिश्चित करते थे।
दिलचस्प बात यह है कि ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) ने भी एक समय पर अपनी वेबसाइट पर एक रिपोर्ट साझा की थी, जिसमें फर्स्ट कजिन विवाहों के फायदों के बारे में बताया गया था। हालांकि, स्वास्थ्य जोखिमों पर विवाद बढ़ने के बाद, इस रिपोर्ट को हटा लिया गया था।
आनुवंशिक बीमारियों का बढ़ता खतरा
विवाद का मुख्य कारण जेनेटिकल बीमारियों का बढ़ता खतरा है। विशेषज्ञों का मानना है कि दूर का खून का रिश्ता होने के बावजूद, चचेरे भाई-बहनों के बच्चों में सिकल सेल डिजीज और सिस्टिक फाइब्रोसिस जैसी आनुवंशिक बीमारियों के मामले सामान्य जनसंख्या की तुलना में काफी बढ़ जाते हैं। यह खतरा जीन्स के गलत मेल के कारण होता है।
जिनोमिक्स एजुकेशन प्रोग्राम ने भी अपनी एक रिपोर्ट में इस तरह की शादियों पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता पर विचार किया था। 'डेली मेल' की एक रिपोर्ट के अनुसार, जबकि पुरानी पीढ़ियों में इसके फायदे थे, आज जेनेटिकल बीमारियों का खतरा बहुत बढ़ गया है।
सरकार का रुख: प्रतिबंध नहीं, जागरूकता
ब्रिटेन सरकार इस मुद्दे पर एक सरल रास्ता खोजना चाहती है। प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने इस विवाद पर सकारात्मक रुख अपनाया है और कहा है कि सरकार इसे पूरी तरह प्रतिबंधित करने वाले फैसले को थोप नहीं सकती है।
स्टार्मर ने कहा कि वे कजिन मैरिज से होने वाली बीमारियों के बढ़ते मामलों से चिंतित हैं, लेकिन किसी भी प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के बजाय, वे लोगों को जागरूक करने की योजना बना रहे हैं। ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री ने भी इस बात की पुष्टि की है कि सरकार लोगों को इस तरह की शादियों से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में जागरूक करने की तैयारी कर रही है।
वहीं, ब्रिटेन के आम लोगों की राय इस प्रथा के पक्ष में नहीं है। एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 77 प्रतिशत लोग इन विवाहों पर किसी न किसी प्रकार का प्रतिबंध या गंभीर जागरूकता अभियान चाहते हैं, जो समाज में बदलाव की बढ़ती माँग को दर्शाता है।