मुंबई, 12 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के पोलारिस डॉन मिशन में आज 12 सितंबर को 2 एस्ट्रोनॉट्स ने पृथ्वी से करीब 700 किलोमीटर ऊपर स्पेसवॉक कीं। स्पेसवॉक के समय स्पेसक्राफ्ट की रफ्तार 25,000 किमी प्रति घंटा थी। यह किसी प्राइवेट स्पेसशिप से की गई पहली स्पेसवॉक है। पोलारिस डॉन मिशन 10 सितंबर को लॉन्च किया गया था। इस मिशन में 4 एस्ट्रोनॉट स्पेस में गए हैं। इनमें से दो एस्ट्रोनॉट मिशन कमांडर जेरेड आइसेकमैन और मिशन स्पेशलिस्ट सारा गिलिस करीब 10 मिनट के लिए स्पेसवॉक के लिए बाहर निकले। स्पेसवॉक के बाद स्पेसक्राफ्ट के हैच को बंद कर दिया गया। 5 दिन के इस मिशन में एस्ट्रोनॉट जिस ऑर्बिट में गए हैं, उसमें 50 साल से ज्यादा समय से कोई एस्ट्रोनॉट नहीं गया। इलॉन मस्क की कंपनी के फाल्कन-9 रॉकेट से मिशन लॉन्च हुआ था।
वहीं, स्पेसवॉक से पहले, क्रू ने 'प्री-ब्रीथ' प्रोसेस की। इस प्रोसेस में केबिन को शुद्ध ऑक्सीजन से भरा गया और नाइट्रोजन के सूक्ष्म कण को भी हटाया गया। एस्ट्रोनॉट के स्पेस में रहने के दौरान अगर नाइट्रोजन उनके ब्लडस्ट्रीम में पहुंच जाती है, तो इससे ब्लड फ्लो में रुकावट पैदा हो सकती है। इससे डीकंप्रेशन सिकनेस भी हो सकती है। इसमें दबाव में तेजी से कमी के कारण खून या टिश्यू में हवा के बुलबुले बन जाते हैं। इस मिशन का मकसद पहली प्राइवेट एक्स्ट्राव्हीकलर एक्टिविटी (स्पेसवॉक) था। साथ ही इंसानी स्वास्थ्य से जुड़ी 36 रिसर्च और एक्सपेरिमेंट भी किए जाएंगे। इसके अलावा स्पेस में स्टारलिंक के लेजर-बेस्ड कम्युनिकेशन की टेस्टिंग होगी। यह पहली बार है, जब स्पेसएक्स के दो एम्प्लॉई पोलारिस डॉन मिशन का हिस्सा हैं।