एक तरफ जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों को लेकर देश के भीतर ही आलोचना हो रही थी, वहीं दूसरी ओर उन्होंने एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए नए टैरिफ पर 90 दिनों की रोक लगाने की घोषणा की है। ट्रंप के इस फैसले से अमेरिकी निवेशकों को बड़ी राहत मिली है और शेयर बाजार ने जोरदार उछाल के साथ इसका स्वागत किया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब ग्लोबल इकॉनमी पहले से ही अस्थिरता के दौर से गुजर रही है और अमेरिका की आक्रामक व्यापार नीति ने दुनिया भर में चिंता बढ़ा दी थी। हालांकि यह राहत चीन को नहीं मिली है, जिससे दोनों देशों के बीच टकराव और गहराने की आशंका जताई जा रही है।
अमेरिका के भीतर से मिला विरोध
डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति को लेकर देश के व्यापार संगठनों, उद्योगपतियों और कई सांसदों ने आपत्ति जताई थी। आलोचकों का कहना था कि ये टैरिफ न केवल वैश्विक व्यापार पर असर डाल रहे हैं, बल्कि खुद अमेरिका की आर्थिक स्थिरता को भी नुकसान पहुँचा रहे हैं। ट्रंप प्रशासन की नीतियों से अमेरिकी उपभोक्ताओं को महंगाई का सामना करना पड़ रहा था, क्योंकि विदेश से आयात होने वाले सामान पर टैरिफ लगने से उनकी कीमतें बढ़ गई थीं। नतीजतन, घरेलू बाजार में उत्पाद महंगे हो गए और इससे आम जनता का बजट प्रभावित हुआ।
90 दिनों की राहत, लेकिन चीन को नहीं
व्हाइट हाउस की ओर से आधिकारिक बयान में कहा गया है कि नए घोषित टैरिफ को 90 दिनों के लिए रोका गया है ताकि इस अवधि में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बातचीत की जा सके और व्यापारिक रिश्तों को सुधारने की दिशा में पहल की जा सके। हालांकि यह राहत केवल चीन को छोड़कर अन्य देशों के लिए है। अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि चीन पर पहले से लगे और प्रस्तावित टैरिफ यथावत रहेंगे या उनमें और वृद्धि की जाएगी। अमेरिका का आरोप है कि चीन लगातार टकराव की नीति पर चल रहा है, जिसके चलते उसे कोई रियायत नहीं दी जाएगी।
शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल
डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले का असर तुरंत अमेरिकी शेयर बाजार में देखने को मिला। चार दिनों की गिरावट के बाद बाजार तेजी से उछला और हरे निशान पर बंद हुआ।
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NASDAQ में 12.16% की जबरदस्त बढ़त दर्ज की गई,
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S&P 500 ने 9.52% का उछाल लिया,
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वहीं Dow Jones ने 7.87% की वृद्धि दर्ज की।
यह कोरोना महामारी के बाद किसी एक दिन में बाजार में आई सबसे बड़ी तेजी मानी जा रही है। इससे यह भी साफ हो गया कि ट्रंप के टैरिफ पर रोक लगाने का फैसला निवेशकों के मन की बात थी, जो उन्हें बहुत पहले ही ले लेनी चाहिए थी।
चीन पर बढ़ेगा टैक्स: अब 125% टैरिफ
अमेरिका ने जहां अन्य देशों को राहत दी है, वहीं चीन पर टैरिफ को और कड़ा कर दिया गया है। अब अमेरिका, चीन से आने वाले सामान पर 125% तक टैरिफ लगाएगा। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि चीन की नीतियां अमेरिका के व्यापारिक हितों के विपरीत हैं और वह किसी तरह की नरमी के लायक नहीं है। चीन लगातार टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, ट्रेड बैरियर और नकल के मामलों में शामिल पाया गया है। यही कारण है कि अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि जब तक चीन अपनी नीति नहीं बदलता, तब तक टैरिफ में कोई राहत नहीं मिलेगी। चीन ने भी अपने पक्ष में बयान जारी करते हुए कहा है कि वह अमेरिका की इस आक्रामक नीति का माकूल जवाब देगा और झुकने का कोई सवाल नहीं उठता।
भारत के लिए राहत की खबर
भारत को भी अमेरिका की टैरिफ नीति से चिंता थी। कई ऐसे भारतीय उत्पाद हैं, जिनपर अमेरिका की तरफ से टैरिफ लगाए गए थे, जिससे भारत-अमेरिका व्यापार प्रभावित हो रहा था। लेकिन अब, ट्रंप के 90 दिन की रोक के फैसले से भारत समेत अन्य देशों को बातचीत का समय मिल गया है। भारत सरकार पहले से ही अमेरिका के साथ इस मुद्दे पर वार्ता कर रही है, और यह राहत भारत के पक्ष में मानी जा रही है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, "अब भारत के पास यह अवसर है कि वह अमेरिका के साथ टैरिफ कम करने और व्यापार संतुलन पर चर्चा कर सके।"
गोल्डमैन सैक्स ने बदला आर्थिक पूर्वानुमान
इस फैसले का असर केवल बाजार तक ही सीमित नहीं रहा। अमेरिका की प्रतिष्ठित फाइनेंशियल संस्था गोल्डमैन सैक्स ने भी अपने आर्थिक पूर्वानुमान में बदलाव करते हुए कहा है कि अब वह 2025 के लिए मंदी की आशंका को खारिज कर रहा है। गोल्डमैन का कहना है कि ट्रंप सरकार की यह नरमी अमेरिकी और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है और इससे कारोबारी विश्वास मजबूत होगा।
भारतीय बाजार पर क्या असर पड़ेगा?
ट्रंप के इस फैसले का असर भारत के शेयर बाजार पर भी दिखाई देगा, लेकिन इसका पता 11 अप्रैल को ही लग पाएगा, क्योंकि 10 अप्रैल को महावीर जयंती के उपलक्ष्य में बाजार बंद रहा। शुक्रवार को जब ट्रेडिंग शुरू होगी, तब निवेशकों की प्रतिक्रिया और विदेशी निवेशकों का मूड समझ में आएगा। भारतीय निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि अंतरराष्ट्रीय अनिश्चितता में आई यह राहत बाजार को मजबूती देगी, खासकर तब जब घरेलू स्तर पर भी महंगाई और ब्याज दरों को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं।
निष्कर्ष: एक बड़ा लेकिन सीमित कदम
डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ पर 90 दिनों की रोक लगाने का फैसला निश्चित तौर पर एक सकारात्मक पहल है, लेकिन इसमें सीमित राहत ही दी गई है। चीन को अलग रखकर दी गई यह राहत व्यापारिक रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य चीन पर दबाव बनाए रखना है और बाकी देशों के साथ संबंधों को सुधारना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अमेरिका और चीन के बीच यह व्यापारिक टकराव सुलझेगा या और भी गहराएगा। वहीं भारत जैसे देशों के लिए यह बातचीत का सुनहरा मौका हो सकता है, जिससे वह अपने व्यापारिक हितों की रक्षा कर सके।