मुंबई, 08 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस विधायक राजेंद्र भारती को बड़ी राहत देते हुए ग्वालियर की एमपी-एमएलए कोर्ट में लंबित धोखाधड़ी के पुराने मामले की सुनवाई को दिल्ली स्थानांतरित करने का आदेश दिया है। अब इस केस की सुनवाई और फैसला दिल्ली की अदालत में होगा। राजेंद्र भारती ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि मध्यप्रदेश के पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा और उनके परिवार के सदस्य राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर केस को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। भारती ने यह भी कहा कि जिला अभियोजन अधिकारी प्रवीण दीक्षित और अभियोजन अधिकारी अभिषेक मल्होत्रा पूर्व मंत्री के दबाव में काम कर रहे हैं, इसलिए उन्हें मामले की सुनवाई से हटाया जाना चाहिए।
मामला जिला सहकारी केंद्रीय बैंक से जुड़ा है, जहां भारती ने अपनी मां के नाम से 10.50 लाख रुपए की एफडी कराई थी। उस पर 13.50% ब्याज दर लागू थी, लेकिन बाद में एफडी की अवधि को कथित तौर पर काट-छांट कर 15 साल कर दिया गया। इसी को लेकर बैंक के कर्मचारी नरेंद्र सिंह ने कोर्ट में परिवाद दायर किया था, जिसके आधार पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ और केस ग्वालियर की एमपी-एमएलए कोर्ट में चला। सुप्रीम कोर्ट ने भारती के आरोपों की गंभीरता को देखते हुए दोनों अधिकारियों को प्रतिवादी बनाकर नोटिस जारी किए थे और ट्रायल पर अस्थायी रोक लगा दी थी। अब सुनवाई पूरी होने के बाद शीर्ष अदालत ने यह मामला दिल्ली ट्रांसफर कर दिया है। राजेंद्र भारती ने इस पूरे विवाद को राजनीतिक षड्यंत्र बताया और अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि एफडी की अवधि 6 जनवरी 1996 के सर्कुलर के अनुसार बढ़ाई गई थी, जो नियमों के तहत पूरी तरह वैध है। उन्होंने यह भी कहा कि एफडी की रकम अभी बैंक में सुरक्षित जमा है और बैंक ने अब तक उसका भुगतान नहीं किया है।