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अमेरिका दे भविष्य में हमला न करने की गारंटी, ईरान ने बातचीत के लिए रख दी शर्त

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Posted On:Friday, July 4, 2025

रान ने अमेरिका और इजराइल के साथ बातचीत की शर्त रखी है कि जब तक वे दोनों पक्ष भविष्य में हमलों को रोकने की ‘विश्वसनीय गारंटी’ नहीं देते, तब तक किसी भी बातचीत का कोई अर्थ नहीं होगा। यह बात ईरान के राजदूत डॉ. इराज इलाही ने भारत में ANI न्यूज एजेंसी को दिए एक ईमेल साक्षात्कार में कही। उन्होंने स्पष्ट किया कि हाल के हमलों में अमेरिका द्वारा इजराइल का समर्थन कूटनीतिक प्रक्रिया के प्रति धोखा है और इससे वार्ता का माहौल प्रभावित हुआ है।

अमेरिका और इजराइल पर गंभीर आरोप

डॉ. इलाही ने पिछले महीने ईरान पर हुए दो बड़े सैन्य हमलों का उल्लेख किया। पहला हमला 13 जून को इजराइल द्वारा ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ के तहत किया गया, जिसमें ईरान के परमाणु ठिकानों और मिसाइल उत्पादन केंद्रों को निशाना बनाया गया। इस हमले में कई वरिष्ठ कमांडर और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए। दूसरा हमला 21-22 जून को अमेरिका ने ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ के तहत किया, जिसमें ईरान के परमाणु ढांचे पर हमला हुआ। ईरान ने इन हमलों की कड़ी निंदा की और इन्हें अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया।

अंतरराष्ट्रीय कानून और IAEA की निगरानी

डॉ. इलाही ने बताया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की कड़ी निगरानी में है और इसका उद्देश्य केवल शांतिपूर्ण उपयोग है। उन्होंने इजराइल के इस दावे को खारिज किया कि हमलों का मकसद ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना था, क्योंकि इसके कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं। इसके विपरीत, उन्होंने कहा कि इजराइल के पास परमाणु हथियार हैं और उसने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

डॉ. इलाही ने कहा कि अमेरिका और इजराइल के हमले ‘आक्रामकता के अपराध’ हैं, जिनमें साइबर और आतंकवादी तत्व शामिल थे, और इससे कई वैज्ञानिकों, सैन्य अधिकारियों तथा निर्दोष नागरिकों की जान गई। इसके अलावा, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के कई प्रावधानों का उल्लंघन होने का भी आरोप लगाया।

कूटनीति में विश्वासघात

ईरान के राजदूत ने आरोप लगाया कि ये हमले कूटनीति को कमजोर करने और विश्वासघात करने की कोशिश हैं। उन्होंने बताया कि इजराइल के हमले ईरान-अमेरिका के बीच छठे दौर की बातचीत से ठीक दो दिन पहले हुए, जो अमेरिका की बातचीत के प्रति गंभीरता की कमी दर्शाते हैं। डॉ. इलाही ने कहा कि इजराइल का ‘खतरे को रोकने’ का दावा पूरी तरह निराधार है।

शांति और समाधान के लिए ईरान का रुख

डॉ. इलाही ने बताया कि ईरान का फिलिस्तीन मुद्दे पर शांतिपूर्ण रुख है और वे इस विवाद का समाधान सभी मूल निवासियों के जनमत संग्रह के जरिए चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ईरान ने अपने इतिहास में कभी किसी देश पर आक्रमण नहीं किया है, और वे इजराइल को एक ‘कब्जा करने वाला और रंगभेदी शासन’ मानते हैं, लेकिन शांति के लिए प्रयासरत हैं।

IAEA से सहयोग में कमी और पक्षपात के आरोप

हाल ही में ईरान ने IAEA के साथ अपने सहयोग को सीमित करने का फैसला किया है। डॉ. इलाही ने कहा कि ईरान अभी भी NPT का सदस्य है और इसके नियमों का पालन करता है, लेकिन IAEA के पक्षपातपूर्ण व्यवहार के कारण यह कदम उठाना पड़ा। उन्होंने IAEA के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी पर हमलों की निंदा न करने का आरोप लगाया।

बातचीत की शर्तें और उम्मीद

ईरान ने स्पष्ट किया है कि वह कूटनीति के लिए तैयार है, लेकिन इसके लिए अमेरिका और इजराइल की ओर से भविष्य में हमलों को रोकने की विश्वसनीय गारंटी आवश्यक है। डॉ. इलाही ने कहा, “जब तक हमले बंद करने की विश्वसनीय गारंटी नहीं मिलती, तब तक बातचीत का कोई मतलब नहीं है।”

उन्होंने यह भी कहा कि इन हमलों ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर, परमाणु अप्रसार व्यवस्था, IAEA बोर्ड के प्रस्तावों और सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2231 का उल्लंघन किया है।


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