बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की उम्मीदवारों की पहली सूची को लेकर शुरुआती संकेत सामने आए हैं। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी अपनी पहली सूची में बड़े बदलाव से बचेगी और ज़्यादातर सीटों पर मौजूदा विधायकों पर ही भरोसा जताएगी, जिससे सूची में नए चेहरे कम ही देखने को मिलेंगे। इस बीच, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के भीतर सीट-बंटवारे को लेकर गतिरोध अब समाप्त होता दिख रहा है। गठबंधन के अन्य सहयोगी दलों - चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा - के साथ बीजेपी की बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ रही है। एनडीए की पहली संयुक्त सूची 13 अक्टूबर को जारी होने की संभावना है।
बीजेपी 100 सीटों पर लड़ सकती है चुनाव
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने जानकारी दी है कि पार्टी इस बार लगभग 100 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार सकती है। पिछले चुनाव में बीजेपी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था। वर्तमान में, बीजेपी के पास 80 सीटों पर मौजूदा विधायक हैं। पार्टी का फैसला इन विधायकों के पांच साल के कार्यकाल, क्षेत्र में सक्रियता और जीतने की क्षमता के गहन विश्लेषण पर आधारित होगा। उम्मीद जताई जा रही है कि इस विश्लेषण के बाद बहुत कम विधायकों के टिकट कटेंगे, जिसका मतलब है कि पहली सूची में पुराने, अनुभवी चेहरे ही अधिक होंगे।
गठबंधन धर्म में सीटें कम होना तय
पिछले विधानसभा चुनाव (2020) में, बीजेपी ने गठबंधन में रहते हुए 110 सीटों पर चुनाव लड़ा और 74 सीटें जीती थीं, जो बाद में बढ़कर 80 हो गईं। इसके विपरीत, 2015 में अकेले लड़ने पर पार्टी को 157 सीटों में से केवल 53 पर ही जीत मिली थी, जिससे स्पष्ट है कि गठबंधन बीजेपी के लिए अधिक सफल रहा है। हालांकि, इस बार गठबंधन में चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और अन्य सहयोगियों को समायोजित करने के लिए बीजेपी को अपनी सीटें कम करनी पड़ सकती हैं। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी को 2020 की 110 सीटों के मुकाबले इस बार 100 सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है।
कुछ सीटों पर बदलाव की संभावना
गठबंधन धर्म निभाते हुए, बीजेपी को कुछ मजबूत सीटों पर भी बलिदान देना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, गोविंदगंज जैसी सीट पर मजबूत पकड़ के बावजूद बीजेपी को यह सीट सहयोगी के लिए छोड़नी पड़ सकती है।
कुछ आंतरिक कारणों से बदलाव संभावित हैं:
- अलीनगर: तत्कालीन विधायक के निलंबन के बाद इस सीट पर नया चेहरा दिख सकता है।
- कुम्हरार: 74 साल से अधिक उम्र के अरुण कुमार सिन्हा की जगह पार्टी नया उम्मीदवार उतार सकती है।
- मुजफ्फरपुर: पिछली बार हारी हुई सीट होने के कारण यहां भी पार्टी रणनीति बदल सकती है।
इसके अलावा, चिराग पासवान उन 4 सीटों पर भी दावेदारी कर रहे हैं, जहां बीजेपी के मौजूदा विधायक हैं। ये वही सीटें हैं जहां लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने गठबंधन के तहत जीत हासिल की थी। गठबंधन के सहयोगियों को समायोजित करने के लिए, बीजेपी को अपनी सीटों की संख्या कम करनी पड़ सकती है, जिससे उसकी कुल विधानसभा सीटें भी प्रभावित होने की संभावना है।