हाल के दिनों में अमेरिकी टैरिफ को लेकर खासा विवाद छिड़ा हुआ है, खासकर भारत के खिलाफ लगाए गए उच्च टैरिफ को लेकर। अमेरिका ने भारत पर कई तरह के आर्थिक दबाव बनाए हैं, जिनमें से सबसे प्रमुख वजह है भारत का रूस से तेल खरीदना। इस मुद्दे पर अमेरिकी व्यापार सलाहकार ने दावा किया था कि भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है, लेकिन इस बयान पर भारत स्थित रूसी दूतावास के प्रभारी रोमन बाबुश्किन ने जवाब दिया है।
आलोचना का मतलब है कि आप सही रास्ते पर हैं
रोमन बाबुश्किन ने भारत और रूस के गहरे संबंधों पर अपनी बात रखते हुए कहा, "अगर कोई आपकी आलोचना करता है, तो समझ लीजिए कि आप सही दिशा में जा रहे हैं।" उनका मानना है कि भारत और रूस के बीच साझेदारी इतनी मजबूत और गहरी है कि वे किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत ने कठिन परिस्थितियों में भी रूस से तेल खरीदना जारी रखा है, जो उनकी दोस्ती और साझेदारी की मिसाल है।
अमेरिका के टैरिफ और भारत की स्थिति
अमेरिका ने भारत पर टैरिफ बढ़ाने का कदम उठाया है ताकि वह रूस से तेल खरीदना कम करे या बंद करे। अमेरिकी वित्त मंत्री और व्यापार सलाहकार ने इस संबंध में कई बार बयान दिए, लेकिन रूस के प्रतिनिधि का कहना है कि भारत ने रूस से तेल खरीदना अभी बंद नहीं किया है। इसके बावजूद अमेरिका द्वारा भारत पर दबाव बढ़ाने के लिए टैरिफ लगाए जा रहे हैं।
भारत-रूस संबंधों में मजबूती
रोमन बाबुश्किन ने बताया कि भारत और रूस के बीच व्यापार पिछले कुछ वर्षों में लगभग सात गुना बढ़ चुका है। यह बढ़ोतरी इस बात का प्रमाण है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते केवल राजनीतिक नहीं बल्कि आर्थिक तौर पर भी मजबूत हैं। उन्होंने कहा, "हमारा व्यापार तेजी से बढ़ रहा है और यह हमारी साझेदारी की गहराई को दर्शाता है।"
पुतिन और मोदी के बीच वार्ता
रूसी दूतावास के प्रभारी ने यह भी बताया कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यूक्रेन संकट को लेकर फोन किया था। यह कॉल इस बात का संकेत है कि भारत रूस के लिए कितना महत्वपूर्ण है और दोनों देशों के बीच संवाद लगातार बना हुआ है। पुतिन और मोदी की यह बातचीत दोनों देशों के बीच मजबूत कूटनीतिक संबंधों का प्रतीक है।
चुनौतियों के बीच साझेदारी का महत्व
रोमन बाबुश्किन ने कहा कि चाहे कितनी भी बाहरी चुनौतियां आएं, भारत और रूस अपनी साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा, "हम किसी भी समस्या का सामना करने के लिए तैयार हैं और हमारी साझेदारी की गहराई हमें हमेशा साथ मिलकर आगे बढ़ने में मदद करेगी।"
निष्कर्ष
अमेरिका द्वारा भारत पर टैरिफ लगाना और रूस से तेल खरीदने को लेकर की गई आलोचना के बीच, रूस की ओर से भारत के समर्थन का यह बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह स्पष्ट करता है कि भारत-रूस के रिश्ते केवल आर्थिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर भी गहरे और मजबूत हैं। आने वाले समय में भी दोनों देशों के बीच सहयोग और बढ़ने की उम्मीद है, जो वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
इस विवाद के बीच यह कहना गलत नहीं होगा कि जब कोई आपको आलोचना करता है, तो इसका मतलब होता है कि आप सही दिशा में काम कर रहे हैं। ऐसे में भारत-रूस का संबंध आने वाले समय में और अधिक मजबूत होने की संभावना है, जो न केवल दोनों देशों के लिए लाभकारी होगा, बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी एक सकारात्मक संकेत होगा।