अयोध्या न्यूज डेस्क: अयोध्या में रामलला के लिए एक नई हाईटेक ‘सीता रसोई’ तैयार हो गई है, जहां अब बाल स्वरूप भगवान राम के लिए सुबह, दोपहर और शाम को भोग तैयार किया जाएगा। इस रसोई में दो मुख्य भंडारियों को नियुक्त किया गया है, जिन्हें चार सहायक सहयोग देंगे। ट्रस्ट विचार कर रहा है कि इस भोग को भक्तों को प्रसाद के रूप में भी बांटा जाए, लेकिन इस पर अंतिम फैसला होना अभी बाकी है।
22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा के समय जो रसोई बनाई गई थी, वह अस्थायी और अव्यवस्थित थी। अब मंदिर की दोनों मंजिलों का निर्माण पूरा हो चुका है और 5 जून 2025 को राजा राम पहले फ्लोर पर अपने दरबार में विराजमान हो चुके हैं। इसी के साथ मंदिर परिसर में आठ अन्य देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हो चुकी हैं, जिनके भोग के लिए भी इस नई रसोई से व्यवस्था की जाएगी। हाईटेक सुविधाओं से युक्त इस रसोई में 15 जुलाई से खाना बनना शुरू होगा।
राजा राम के दर्शन के लिए अब भक्तों को 40 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, क्योंकि वे अब मंदिर की पहली मंजिल पर विराजमान हैं। उत्तर और दक्षिण दोनों दिशाओं से ये सीढ़ियां पहुंचती हैं और उनमें रेलिंग और सपोर्ट पाइप भी लगाए जा रहे हैं, जिससे बुजुर्गों को सहूलियत हो। अभी कंस्ट्रक्शन का काम जारी होने के कारण सीमित संख्या में दर्शन की अनुमति है। फिलहाल ऑनलाइन या प्रशासन से पास लेकर एक घंटे में 50 और एक दिन में 750 भक्त ही दर्शन कर पा रहे हैं।
5 जून को राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही भगवान सूर्य, शंकर, गणेश, दुर्गा, अन्नपूर्णा, हनुमान और शेषावतार के मंदिरों में भी मूर्तियों की प्रतिष्ठा हो चुकी है। इसके अलावा सप्तमंडलम में रामायणकालीन सप्तऋषियों – वशिष्ठ, विश्वामित्र, वाल्मीकि, अगस्त, शबरी, अहिल्या और निषादराज – की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई थीं। चूंकि राजा राम के दर्शन सीमित हैं, इसलिए ट्रस्ट ने जल्दी ही सप्तऋषियों के दर्शन शुरू करवा दिए हैं और मंदिर के बाहर मलबा हटाकर रास्ता तैयार किया जा रहा है।