भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव के दौरान एक सवाल बार-बार उठ रहा है – आखिर अमेरिका क्यों पाकिस्तान का पक्ष ले रहा है? क्या ये कोई रणनीतिक मजबूरी है या इसके पीछे कोई छिपा आर्थिक एजेंडा है? टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस पूरे घटनाक्रम की जड़ एक क्रिप्टो डील में छिपी है, जिसमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी फैमिली की सीधी हिस्सेदारी है। आइए, आपको विस्तार से बताते हैं कि कैसे यह डील पाकिस्तान के लिए ‘मेहरबानी’ का कारण बन गई है।
पाकिस्तान को अमेरिका से मिल रही विशेष छूट की असली वजह
22 अप्रैल को भारत के जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था, जिसमें कई जवान शहीद हुए। इस हमले के ठीक 5 दिन बाद डोनाल्ड ट्रंप समर्थित कंपनी वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF) और पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल के बीच एक बड़ी डील हुई। इस डील में ट्रंप फैमिली की 60% हिस्सेदारी है। ट्रंप के नजदीकी दोस्त भी इस डील में शामिल हैं।
खास बात यह है कि इस डील का सीधा मकसद पाकिस्तान को दक्षिण एशिया की क्रिप्टो कैपिटल बनाना है। इस काम में बाइनेंस के फाउंडर और CEO चांगपेंग झाओ की भी अहम भूमिका रही है, जो पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल के सलाहकार हैं। उनके माध्यम से ही यह डील संभव हो सकी।
इस प्रतिनिधिमंडल में ट्रंप के बेहद करीबी माने जाने वाले स्टीव विटकॉफ के बेटे जैकरी विटकॉफ भी शामिल थे, जिन्हें पाकिस्तान में बड़े स्तर पर सम्मानित किया गया। अमेरिका और पाकिस्तान की यह क्रिप्टो डील अब रणनीतिक साझेदारी में बदलती दिख रही है।
भारत की एयर स्ट्राइक और अमेरिका की ‘चुप्पी’
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक कर आतंकवाद के खिलाफ एक निर्णायक कदम उठाया। जब पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइलों से हमला किया, तो भारत ने सटीक जवाब दिया और उसे पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
पाकिस्तान की कमजोर होती स्थिति को देखकर 10 मई को दोनों देशों के बीच सीजफायर समझौता हुआ। हालांकि यह सीजफायर भारत की सैन्य कार्रवाई के कारण संभव हुआ, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर इसका श्रेय खुद को दे दिया। उन्होंने दावा किया कि उनकी मध्यस्थता से भारत और पाकिस्तान में शांति स्थापित हुई।
IMF लोन: भारत के विरोध के बावजूद अमेरिका की ‘हां’
इस पूरे घटनाक्रम में एक और बड़ा सवाल यह है कि आखिर IMF (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) ने भारत के विरोध के बावजूद पाकिस्तान को हजारों करोड़ रुपये का लोन कैसे दे दिया? इसका जवाब भी अमेरिका की भूमिका में छिपा है।
IMF में अमेरिका की मजबूत पकड़ है और उसकी सहमति के बिना किसी देश को इस स्तर का लोन मिलना मुश्किल है। भारत ने इस लोन का विरोध इसलिए किया क्योंकि पाकिस्तान आतंकवाद को पनाह देता है। लेकिन अमेरिका की स्वीकृति से यह लोन पास हो गया, जो यह दर्शाता है कि अमेरिका किसी न किसी कारणवश पाकिस्तान को कमजोर नहीं होने देना चाहता।
अमेरिका क्यों बन रहा है पाकिस्तान का 'चौधरी'?
अब सवाल उठता है कि अमेरिका इस तनाव में भारत को नजरअंदाज कर पाकिस्तान की तरफ क्यों झुक रहा है? इसका जवाब आर्थिक और राजनीतिक फायदे में छिपा है:
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क्रिप्टो डील में ट्रंप फैमिली की सीधी हिस्सेदारी।
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पाकिस्तान को क्रिप्टो हब बनाकर दक्षिण एशिया में अमेरिकी नियंत्रण बढ़ाने की रणनीति।
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चीन के बढ़ते प्रभाव को काउंटर करने के लिए पाकिस्तान को मोहरे की तरह इस्तेमाल करना।
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ट्रंप की राजनीतिक छवि को वैश्विक शांति-दूत के रूप में पेश करना।
निष्कर्ष
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में अमेरिका की भूमिका अब केवल राजनयिक मध्यस्थ की नहीं, बल्कि स्वार्थ से प्रेरित साझेदार की लगती है। अमेरिका के लिए पाकिस्तान इस समय राजनीतिक और आर्थिक लाभ का जरिया है, और शायद यही वजह है कि वह पाकिस्तान को खुलकर समर्थन दे रहा है – चाहे वह आतंकवाद को लेकर हो, IMF लोन हो या सीजफायर का श्रेय लेने की होड़।
भारत को ऐसे दौर में अपनी रणनीति और विदेश नीति को और मजबूत करना होगा, ताकि अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसका पक्ष ज्यादा प्रभावी और सशक्त रूप से सामने आ सके।