अयोध्या न्यूज डेस्क: अयोध्या में रविवार को पारंपरिक 84 कोसी परिक्रमा यात्रा का शुभारंभ हुआ, जिसमें देशभर से आए करीब 1500 श्रद्धालु शामिल हुए। यह पवित्र यात्रा धार्मिक आस्था और आध्यात्मिक साधना से जुड़ी मानी जाती है, जो पूरे 21 दिनों तक चलेगी। यात्रा का आयोजन धर्मार्थ सेवा संस्थान और ठाकुर नरोत्तम भगवान ट्रस्ट द्वारा किया गया है। यह यात्रा अयोध्या से शुरू होकर बस्ती, अंबेडकर नगर, बहराइच और गोंडा जिलों से होते हुए फिर अयोध्या लौटेगी।
इस परिक्रमा की शुरुआत नरोत्तम भवन, रायगंज से साधु-संतों के एक बड़े दल के साथ हुई। परिक्रमा का पहला पड़ाव मखोड़ा धाम रहा, जिसे त्रेता युग में भगवान दशरथ के यज्ञस्थल के रूप में जाना जाता है। श्रद्धालु पहले पैदल सरयू तट तक पहुंचे, फिर वहां से वाहनों द्वारा मखोड़ा धाम की ओर रवाना हुए। सोमवार सुबह पांच बजे से यह यात्रा विधिवत रूप से आरंभ हुई, जो 4 मई तक विभिन्न धार्मिक स्थलों से होकर गुजरेगी और 6 मई को रामकोट में महायज्ञ और पैगाम मार्च के साथ समाप्त होगी।
शास्त्रों के अनुसार 84 कोसी परिक्रमा को मन, वचन और कर्म से पूरा करने वाले को पुनर्जन्म से मुक्ति मिलती है, यही कारण है कि यह यात्रा श्रद्धालुओं के लिए खास महत्व रखती है। अयोध्या की चार दिशाओं में स्थित प्रमुख धार्मिक स्थलों को इस यात्रा में विशेष महत्व दिया गया है – मखोड़ा धाम (उत्तर), सिंह ऋषि आश्रम (पूर्व), परीक्षित आश्रम (दक्षिण) और अगस्त्य मुनि आश्रम (पश्चिम)। इन चारों स्थानों को अयोध्या की आध्यात्मिक सीमाएं माना जाता है।
मान्यता है कि भगवान राम ने वनगमन के दौरान जिन मार्गों से होकर ऋषियों के आश्रमों तक यात्रा की थी, उन्हीं पवित्र पथों को जोड़कर यह परिक्रमा मार्ग तय किया गया है। हर वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस यात्रा में भाग लेते हैं, और इस बार भी श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखने को मिला। यह यात्रा केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि मोक्ष की ओर बढ़ने की एक आध्यात्मिक साधना भी मानी जाती है।