अयोध्या न्यूज डेस्क: अयोध्या के प्रसिद्ध बड़े भक्तमाल मंदिर में चल रहा महंत रामशरण दास जी महाराज का 50वां साकेत उत्सव अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। मंदिर परिसर इन दिनों वेदों, उपनिषदों और रामचरितमानस के नवान्ह पाठ की पवित्र ध्वनियों से गूंज रहा है। श्रद्धा, सेवा और उत्सव का यह अद्भुत संगम भक्तों के हृदयों में भक्ति की नई लहर जगा रहा है।
इस अवसर पर जगतगुरु रामानुजाचार्य डॉ. स्वामी राघवाचार्य जी महाराज के मुखारविंद से भक्तमाल कथा का रसपान हो रहा है, जिसे सुनने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। सोमवार को ठाकुर जी का भव्य फूल बंगला श्रृंगार किया गया और उन्हें 56 भोग अर्पित किए गए। भक्तों ने दर्शन कर आध्यात्मिक आनंद और आत्मिक शांति का अनुभव किया। कार्यक्रम में भगवान श्रीराम के परम भक्त निषादराज के वंशजों को भी विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
बताया गया कि श्रीराम के वनगमन के समय मां गंगा को पार कराने में निषादराज ने जो सेवा की थी, वह आज भी भक्ति का सर्वोच्च उदाहरण मानी जाती है। उनके वंशज आज भी अयोध्या की पंचकोसी परिक्रमा क्षेत्र में रहकर प्रभु की सेवा में जुटे हैं। पूरा आयोजन बड़े महंत कौशल किशोर दास जी महाराज के सानिध्य और वर्तमान पीठाधीश्वर महंत अवधेश कुमार दास के संयोजन में संपन्न हो रहा है। संचालन शिष्य कृष्ण गोपाल दास ने अत्यंत श्रद्धा और निष्ठा से किया।
भक्तमाल कथा के समापन सत्र में जगतगुरु राघवाचार्य जी महाराज ने कहा कि “भगवान भक्त के अधीन हैं। भक्त की सच्ची भावना के आगे भगवान स्वयं उपस्थित हो जाते हैं। इसलिए भक्त का स्थान भगवान से भी श्रेष्ठ कहा गया है।” उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि इतिहास में अनेक बार भक्तों के माध्यम से ही भगवान ने अपने साक्षात दर्शन दिए हैं। इस मौके पर अयोध्या के संत-महंतों और गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते हुए महंत अवधेश कुमार दास जी महाराज ने कहा कि “यह आयोजन बड़े भक्तमाल महाराज की कृपा और प्रेरणा का परिणाम है, और आगे भी भक्तमाल आश्रम संत समाज के सम्मान का कार्य करता रहेगा।”