अयोध्या न्यूज डेस्क: अयोध्या के महुआर बसगितिया स्थित पवहारी जी मंदिर में रविवार को महाराणा प्रताप की प्रतिमा का अनावरण किया गया। इस मौके पर पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि अयोध्या और चित्तौड़ कभी पराधीन नहीं हुए, क्योंकि यहां के पराक्रमी राजाओं ने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप भगवान राम को मानने वाले थे और उनकी जड़ें अयोध्या से जुड़ी हैं।
कार्यक्रम में सिंह ने कहा कि देश के हर बच्चे को महाराणा प्रताप की वीरता और शौर्यगाथा जाननी चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रताप ने कठिन परिस्थितियों में भी सूखी घास की रोटियां खाकर अपने राज्य की आन-बान-शान की रक्षा की और कभी झुके नहीं। सिंह ने कविता के माध्यम से लोगों को उनके गौरवशाली इतिहास की याद दिलाई और कहा कि हमें यह सोचना होगा कि “हम कौन थे, क्या हो गए, और क्या हो सकते हैं।”
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या महाराणा प्रताप अपना घोड़ा खुद खिलाते थे या तलवार खुद बनाते थे? उन्होंने कहा कि प्रताप हमारे मार्गदर्शक और वीर योद्धा थे, लेकिन भगवान राम हमारे आदर्श हैं। सिंह ने सभी से आग्रह किया कि हमें अपने इतिहास और मूल्यों पर विचार करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों को उनकी प्रेरणा मिल सके।
इस अवसर पर विधान परिषद सदस्य देवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप ने कभी अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और वर्षों तक संघर्ष करते रहे। विधायक सुधाकर सिंह ने उन्हें मेवाड़ के सिसौदिया वंश का वीर शिरोमणि बताया। कार्यक्रम में कई जनप्रतिनिधि और स्थानीय लोग मौजूद रहे।