अयोध्या न्यूज डेस्क: अयोध्या में एक बार फिर प्रशासनिक लापरवाही उजागर हुई है, जहां रुदौली तहसील में तहसीलदार की तैनाती के आदेश में एक नहीं, बल्कि दो अफसरों के नाम दर्ज कर दिए गए। यह आदेश विजय कुमार गुप्त की नियुक्ति को लेकर था, लेकिन आदेश की तीसरी पंक्ति में पवन कुमार गुप्त का नाम भी आ गया, जो कि स्पष्ट रूप से एक गंभीर त्रुटि है।
यह चूक केवल एक साधारण मानवीय भूल नहीं, बल्कि पूरी प्रशासनिक प्रक्रिया में लापरवाही की ओर इशारा करती है। यह आदेश जिलाधिकारी चंद्र विजय सिंह के स्तर से जारी किया गया था और उससे पहले यह फाइल एडीएम के जरिए आई थी। नियम के अनुसार, फाइल पर नोटशीट बनती है और फिर दस्तावेजों को ध्यानपूर्वक पढ़कर ही जिलाधिकारी से हस्ताक्षर कराए जाते हैं। लेकिन इस बार सभी स्तरों पर बिना पढ़े आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए गए।
यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की लापरवाही सामने आई हो। दिसंबर 2024 में भी एक स्थानांतरण आदेश में रितेश सोनकर को अपर नगर मजिस्ट्रेट कह दिया गया था, जबकि वे राजस्व अभिलेखागार में प्रतिपालक पद पर तैनात थे। आदेश में गलती छपने के बाद कलेक्ट्रेट में उन्हें 'अपर नगर मजिस्ट्रेट' के तौर पर संबोधित किया जाने लगा, जिसे बाद में एडीएम स्तर से सुधारा गया।
सूत्रों के मुताबिक, आदेश में दर्ज दूसरा नाम पवन कुमार गुप्त की पहले की तैनाती सोहावल तहसील में थी और उनका स्थानांतरण शासन स्तर से 2023 में मथुरा कर दिया गया था। ऐसे में उनका नाम नए आदेश में आना इस बात का संकेत है कि पुराने रिकॉर्ड को बिना जांचे आदेश तैयार कर दिया गया, जिससे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।