अयोध्या न्यूज डेस्क: विवाह पंचमी के शुभ अवसर पर 25 नवंबर को अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में ऐतिहासिक ध्वजारोहण उत्सव मनाया जाएगा। यह कार्यक्रम न केवल मंदिर निर्माण की पूरी होने की खुशी का प्रतीक होगा, बल्कि राम राज्य की परंपराओं और वैदिक संस्कृति के पुनरुत्थान का संदेश भी देगा। मंदिर ट्रस्ट की धार्मिक समिति ने रविवार को ध्वजारोहण से जुड़े सभी धार्मिक और प्रतीकात्मक निर्णयों को अंतिम रूप दिया।
मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी ने बताया कि मुख्य शिखर समेत सभी परकोटे के मंदिरों पर लगने वाले ध्वज केसरिया रंग के होंगे। प्रत्येक ध्वज पर तीन महत्वपूर्ण प्रतीक अंकित होंगे – सूर्यदेव, कोविदार वृक्ष और ॐ। ध्वज का आकार 11×22 फुट होगा, जिसमें 11 फुट का हिस्सा दंड पर लिपटा रहेगा और 22 फुट का भाग आकाश में फहराया जाएगा। स्वामी गोविंद देव गिरी ने कहा कि ध्वजारोहण मंदिर निर्माण की पूर्णता का प्रतीक होगा, जबकि ट्रस्ट कार्यालय, सभागार और अन्य संरचनाओं का निर्माण आगे भी जारी रहेगा।
कोविदार वृक्ष रामराज्य का राजवृक्ष माना जाता था और इसे शक्ति, समृद्धि और संप्रभुता का प्रतीक माना जाता है। प्राचीन ग्रंथों में इसे औषधीय और पवित्र वृक्ष के रूप में वर्णित किया गया है। सूर्यदेव रघुवंश के आदिपुरुष हैं, जबकि ॐ ब्रह्मांड की अनादि ध्वनि और दिव्यता का प्रतीक है। इन तीन प्रतीकों का संयोजन रामराज्य की आध्यात्मिकता, ऊर्जा और मर्यादा का प्रतीक बनेगा।
मंदिर निर्माण का मुख्य ढांचा अब पूरा हो चुका है और परिसर में अंतिम सजावट, सफाई और फिनिशिंग का कार्य जारी है। उत्सव के दौरान वैदिक मंत्रोच्चार, हवन और विशेष धार्मिक कार्यक्रम की व्यवस्था की गई है। लगभग 10 हजार स्थानीय श्रद्धालुओं को विशेष निमंत्रण भेजा गया है, जबकि बाहर के लोगों का प्रवेश सीमित रहेगा ताकि कार्यक्रम की पवित्रता और अनुशासन बना रहे।