अयोध्या न्यूज डेस्क: अयोध्या के कुशमाहा कंपोजिट स्कूल से जुड़े एक वीडियो के वायरल होते ही मिड डे मील की व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं। 22 सेकंड के इस वीडियो में कुछ बच्चे जमीन पर बैठकर पत्तों में भोजन करते दिखाई दे रहे हैं। इनमें से कुछ बच्चों ने स्कूल यूनिफॉर्म पहनी है, जबकि कुछ सामान्य कपड़ों में हैं। वीडियो के वायरल होते ही अभिभावकों ने गहरी नाराजगी जताई और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की। उनका कहना है कि बच्चों को इस तरह खुले में पत्तों पर खाना देना अपमानजनक और अमानवीय है।
अभिभावकों का गुस्सा इस कदर भड़का कि उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द जांच न हुई और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो वे अपने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर देंगे। बच्चों को अस्वच्छ परिस्थितियों में भोजन करते देखना अभिभावकों के लिए पीड़ादायक रहा। वीडियो सामने आने के बाद यह सवाल भी खड़े हुए कि क्या मिड डे मील जैसी योजनाएं ज़मीनी स्तर पर सही ढंग से लागू हो रही हैं या नहीं।
स्कूल प्रशासन की ओर से मामले को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। कुशमाहा कंपोजिट विद्यालय की प्रभारी प्रधानाचार्या आरती सिंह का कहना है कि वीडियो में दिख रहे बच्चे उनके स्कूल के नहीं लग रहे। उन्होंने इसे किसी साजिश का हिस्सा बताते हुए आरोपों से इनकार किया। हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि विद्यालय में बच्चों की संख्या अधिक है और कुछ बच्चे इधर-उधर बैठकर खाना खा सकते हैं। वहीं, स्थायी प्रधानाचार्या पूनम रानी से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनका फोन नहीं उठ पाया।
प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि संबंधित अधिकारी शुरुआत में प्रतिक्रिया देने से बचते नजर आए। खंड शिक्षा अधिकारी पूरा बाजार से जब संपर्क किया गया, तो जानकारी दी गई कि वे मीटिंग में हैं। इससे मामले की गंभीरता को लेकर अफसरों की निष्क्रियता पर भी चर्चा शुरू हो गई है। प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था को लेकर ऐसे वीडियो प्रशासन की साख पर भी सवालिया निशान लगाते हैं।
हालांकि, मामला बढ़ता देख बेसिक शिक्षा अधिकारी संतोष राय ने तत्परता दिखाते हुए जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने मीडिया को बताया कि खंड शिक्षा अधिकारी को तुरंत मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। संतोष राय ने यह भी स्पष्ट किया कि जिले के सभी परिषदीय स्कूलों में बर्तनों की पर्याप्त व्यवस्था है और निर्धारित मीनू के अनुसार भोजन परोसा जाता है। यदि वायरल वीडियो की जांच में तथ्य सही पाए जाते हैं, तो जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।