अयोध्या न्यूज डेस्क: प्रभु राम की नगरी अयोध्या का नाम सुनते ही धार्मिकता की भावना जागृत होती है, लेकिन एक समय था जब यह शहर विवादों और आंदोलनों के कारण चर्चा में था। इन घटनाओं के कारण अयोध्या और आसपास के इलाकों में व्यापार में खास रुचि नहीं थी, और यहां का कारोबार मठ मंदिर और छोटे व्यवसायों पर निर्भर था। रोज-रोज के धरना-प्रदर्शन और आंदोलनों के चलते यातायात भी प्रभावित रहता था।
लेकिन 9 नवंबर 2019 को राम मंदिर के पक्ष में ऐतिहासिक निर्णय ने न केवल बड़े विवादों को समाप्त किया, बल्कि अयोध्या के विकास का रास्ता भी खोला। राम मंदिर के निर्माण से न सिर्फ धार्मिक माहौल में बदलाव आया, बल्कि व्यापार और कारोबार में भी भारी वृद्धि देखने को मिली। इस फैसले के बाद अयोध्या में विकास की एक नई लहर का आरंभ हुआ और इसके असर से आसपास के जिलों में भी कारोबार में तेजी आई।
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण और इसके बाद व्यापार में आए बदलावों के आंकड़े भी गवाही दे रहे हैं। 2017-18 में अयोध्या में 34,752 व्यापारी पंजीकृत थे, जिनसे 384.50 करोड़ का राजस्व आया था। वहीं, 2021-22 में यह आंकड़ा बढ़कर 990.14 करोड़ पहुंच गया। 2023-24 में तो यह आंकड़ा 1798.22 करोड़ तक पहुंच गया, जब लगभग 69,656 व्यापारियों ने जीएसटी जमा किया। इस दौरान अयोध्या की जीएसटी ग्रोथ ने कानपुर को भी पीछे छोड़ दिया और 11.1% की वृद्धि दर्ज की।
अयोध्या की जीएसटी ग्रोथ में हुई इस वृद्धि के कारण अब यह शहर उत्तर प्रदेश के अन्य प्रमुख शहरों से भी आगे निकल चुका है। यहां न केवल बड़ी इंडस्ट्री और होटल-रेस्टोरेंट्स का विकास हुआ है, बल्कि व्यापार के नए अवसर भी खुले हैं। यही कारण है कि देशभर के उद्योगपति अब रामनगरी में निवेश करने आ रहे हैं और अयोध्या को एक व्यापारिक केंद्र के रूप में देख रहे हैं।
अयोध्या में व्यापार बढ़ने के साथ ही यहां के प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि हुई है। महापौर गिरीश पति त्रिपाठी ने कहा कि अयोध्या अब दुनिया भर के लिए एक महानगर बनकर उभरा है। यहां प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु भगवान रामलला के दर्शन के लिए आ रहे हैं, जिससे यहां के व्यापार और विकास को भी मजबूती मिली है। अयोध्या के व्यापारियों ने भी इस बदलाव को महसूस किया है, जहां पहले उनकी आमदनी कम थी, अब उनके कारोबार में कई गुना वृद्धि हो चुकी है।