बेंगलुरु में हाल ही में हुए भगदड़ कांड ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है। इस मामले में अब एक के बाद एक बड़ी कार्रवाई हो रही है। सबसे बड़ी खबर यह है कि रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) की विक्ट्री परेड के दौरान हुई भगदड़ में आरसीबी के मार्केटिंग हेड निखिल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोप है कि निखिल घटना के बाद मुंबई भागने की फिराक में था, लेकिन इससे पहले ही बेंगलुरु पुलिस ने उसे एयरपोर्ट से धर दबोचा।
भगदड़ के लिए जिम्मेदार इवेंट कंपनी के 3 स्टाफ भी हिरासत में
बेंगलुरु पुलिस ने इस घटना के आयोजकों की भूमिका की जांच करते हुए डीएनए एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स प्राइवेट लिमिटेड नामक इवेंट कंपनी के तीन स्टाफ को भी हिरासत में लिया है। हालांकि अभी तक इन तीनों की पहचान सार्वजनिक नहीं की गई है। पुलिस का कहना है कि जांच के दौरान इन कर्मचारियों की भूमिका की विस्तृत जानकारी जुटाई जा रही है।
एफआईआर के बाद तेज हुई कार्रवाई
इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री के कड़े रुख के बाद पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी। मुख्यमंत्री के आदेश पर न सिर्फ एफआईआर हुई, बल्कि आरसीबी और इवेंट कंपनी के बड़े अधिकारियों की गिरफ्तारी के निर्देश भी जारी किए गए। भगदड़ में घायल और मृतकों को न्याय दिलाने की दिशा में सरकार का यह सख्त कदम माना जा रहा है।
कई पुलिस अधिकारी सस्पेंड
सीएम की फटकार के बाद बेंगलुरु पुलिस विभाग में बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई देखने को मिली। बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर बी. दयानंद को सस्पेंड कर दिया गया है। उनके साथ-साथ एडिशनल सीपी, कब्बन पार्क थाना प्रभारी, एसीपी, डीसीपी सेंट्रल डिवीजन, क्रिकेट स्टेडियम प्रभारी, स्टेशन हाउस मास्टर और स्टेशन हाउस ऑफिसर को भी तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है।
फरार चल रहे थे KCA के अधिकारी
इस मामले में एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन (KCA) के सेक्रेटरी और कोषाध्यक्ष घटना के बाद से ही फरार चल रहे थे। इससे साफ जाहिर होता है कि भगदड़ की इस भयावह घटना की ज़िम्मेदारी केवल एक संस्था या व्यक्ति की नहीं बल्कि आयोजन से जुड़े कई बड़े नामों की लापरवाही और असंवेदनशीलता का नतीजा है।
क्या थी पूरी घटना?
गौरतलब है कि बेंगलुरु में आयोजित RCB की विजेता परेड में हजारों लोग जुटे थे। टीम की लोकप्रियता और IPL में उनके प्रदर्शन के बाद बड़ी संख्या में फैंस उनकी जीत का जश्न मनाने के लिए उमड़े थे। लेकिन भीड़ नियंत्रण में भारी चूक के कारण भगदड़ मच गई, जिसमें कई लोग घायल हो गए और कुछ की मौत की भी खबरें सामने आईं। शुरुआत में इसे "मैनेजमेंट फेल्योर" कहा गया, लेकिन अब स्पष्ट हो रहा है कि इवेंट मैनेजमेंट कंपनी और संबंधित अधिकारियों की गंभीर लापरवाही इसका प्रमुख कारण थी।
विपक्ष का हमला
इस घटना को लेकर अब राजनीतिक बहस भी तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने सरकार और आयोजकों पर जनता की जान के साथ खिलवाड़ का आरोप लगाया है। कांग्रेस और जेडीएस ने सरकार से घटना की हाई-लेवल न्यायिक जांच कराने की मांग की है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि "ऐसी घटनाएं सिर्फ भीड़ के कारण नहीं होतीं, बल्कि जब सरकार और पुलिस प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से भागते हैं तब जानें जाती हैं।"
अब आगे क्या?
सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह कोई भी हो। पुलिस अब इवेंट की पूरी योजना, भीड़ नियंत्रण के इंतजाम, सुरक्षा व्यवस्था, और सभी अनुमतियों की जांच कर रही है। इसके साथ ही RCB टीम और उनकी प्रबंधन समिति से भी जवाब मांगा गया है।
निष्कर्ष
बेंगलुरु की यह घटना एक बार फिर इस बात का प्रमाण है कि जब बिना उचित प्लानिंग और सुरक्षा इंतजाम के बड़े आयोजन किए जाते हैं, तो वे हादसों में तब्दील हो सकते हैं। आरसीबी की जीत का जश्न लोगों की जानलेवा त्रासदी में बदल गया। अब सवाल यह है कि क्या इन गिरफ्तारियों और सस्पेंशनों से भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकी जा सकेंगी?
सरकार की सख्ती एक सकारात्मक संकेत जरूर है, लेकिन व्यवस्था और जिम्मेदारी की कमी को सुधारने की दिशा में अब ठोस कदम उठाना ज़रूरी है। जनता को न्याय और जवाबदेही दोनों की जरूरत है।