भारत अपने पासपोर्ट सिस्टम के आधुनिकीकरण की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। इस आधुनिक बदलाव का मकसद न केवल सुरक्षा को बढ़ाना है, बल्कि प्रक्रिया को अधिक सरल, तेज और डिजिटल बनाना भी है। इसके तहत RFID चिप युक्त ई-पासपोर्ट (e-passport) पेश किए जा रहे हैं, जो पारंपरिक पासपोर्ट की तुलना में कई मायनों में बेहतर और सुरक्षित हैं। साथ ही, निजता (प्राइवेसी) और विविध पारिवारिक संरचनाओं को ध्यान में रखते हुए भी कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। आइए विस्तार से जानते हैं भारत के पासपोर्ट सिस्टम में हो रहे ये 5 बड़े बदलाव जो आने वाले समय में आपकी यात्रा को और आसान बनाएंगे।
1. चिप-आधारित ई-पासपोर्ट की शुरुआत
भारत में पहले से ही कुछ शहरों जैसे गोवा और रांची में चिप-अनेबल ई-पासपोर्ट को जारी किया जा चुका है। ये पासपोर्ट RFID चिप के साथ आते हैं, जिसमें आपके बायोमेट्रिक डेटा जैसे फिंगरप्रिंट, डिजिटल तस्वीरें, और अन्य पहचान संबंधित जानकारी सुरक्षित रूप से एम्बेड की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य पहचान चोरी और धोखाधड़ी के जोखिम को कम करना है। इससे विदेश जाने और इमीग्रेशन प्रक्रियाओं को अधिक सुरक्षित, तेज़ और सुव्यवस्थित बनाया जा सकेगा।
यहां यह भी जानना जरूरी है कि मौजूदा पासपोर्टधारकों को अपने पुराने पासपोर्ट को तुरंत बदलने की जरूरत नहीं है। नया ई-पासपोर्ट विकल्प उन लोगों के लिए उपलब्ध है जो नए आवेदन कर रहे हैं।
2. रेजिडेंशियल एड्रेस को हटाना
पारंपरिक भारतीय पासपोर्ट के अंतिम पेज पर आवासीय पता छपा होता था, जिससे कई बार प्राइवेसी से संबंधित चिंताएं उत्पन्न होती थीं। अब इस सुविधा को हटाकर, पासपोर्ट के अंतिम पेज पर एक बारकोड दिया जाएगा। जब यह बारकोड स्कैन किया जाएगा, तो संबंधित अधिकारी आपके फोन पर ही आपका पता देख सकेंगे। यह जानकारी आम जनता के लिए नहीं होगी, केवल इमीग्रेशन और आधिकारिक एजेंसियों के लिए ही उपलब्ध होगी।
इस बदलाव का उद्देश्य है आपके निजी डेटा की सुरक्षा और प्राइवेसी को मजबूत बनाना।
3. पैरेंट्स के नाम हटाना – विविध परिवारों के लिए आसान प्रक्रिया
भारत सरकार ने परिवार की विविध संरचनाओं को ध्यान में रखते हुए, नए पासपोर्ट में पैरेंट्स के नाम शामिल न करने का फैसला किया है। इसका अर्थ यह है कि अब सिंगल पैरेंट्स, अलग-अलग परिवारों या अन्य पारिवारिक संरचनाओं के लोग पासपोर्ट आवेदन प्रक्रिया में ज्यादा सहजता और सम्मान महसूस करेंगे।
यह कदम पारिवारिक पहचान को पारंपरिक बॉक्स में बांधने से बचाते हुए सभी प्रकार के परिवारों को समान अधिकार देता है और आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाता है।
4. जन्म प्रमाण पत्र और दस्तावेज़ीकरण में बदलाव
1 अक्टूबर 2023 के बाद जन्मे सभी व्यक्तियों के लिए पासपोर्ट आवेदन के दौरान अपना जन्म प्रमाण पत्र जमा करना अनिवार्य कर दिया गया है। यह प्रमाण पत्र जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के अंतर्गत नामित अधिकारी द्वारा जारी किया जाना चाहिए।
जबकि, जो लोग 1 अक्टूबर 2023 से पहले जन्मे हैं, वे आधार कार्ड, पैन कार्ड, स्कूल प्रमाणपत्र जैसे वैकल्पिक दस्तावेजों का उपयोग कर सकते हैं। इस कदम से दस्तावेज़ीकरण प्रक्रिया में एकरूपता और विश्वसनीयता सुनिश्चित होगी, जिससे फर्जीवाड़े की संभावना कम होगी।
5. 2030 तक पासपोर्ट सेवा केंद्रों की संख्या बढ़ाना
भारत सरकार ने 2030 तक पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्रों (POPSK) की संख्या 442 से बढ़ाकर 600 करने का बड़ा लक्ष्य रखा है। यह कदम खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में रहने वाले नागरिकों के लिए पासपोर्ट सेवा को ज्यादा सुगम और सुलभ बनाने के लिए उठाया गया है।
अधिक सेवा केंद्रों के होने से आवेदकों को लंबी कतारों और लंबे इंतजार से बचाव होगा, साथ ही आवेदन प्रक्रिया तेज और पारदर्शी बनेगी। यह भारत की पासपोर्ट प्रणाली के आधुनिकीकरण और डिजिटल इंडिया के लक्ष्य को भी मजबूती प्रदान करता है।
निष्कर्ष
भारत के पासपोर्ट सिस्टम में हो रहे ये बड़े बदलाव न केवल सुरक्षा बढ़ाने वाले हैं, बल्कि लोगों की गोपनीयता की रक्षा भी सुनिश्चित करते हैं। ई-पासपोर्ट, डिजिटल दस्तावेज़ीकरण, परिवार की विविधता को स्वीकारना और सेवा केंद्रों की संख्या बढ़ाना, ये सभी कदम भारत को एक मजबूत, विश्वसनीय और आधुनिक पासपोर्ट सेवा प्रणाली की ओर ले जा रहे हैं।
यदि आप अभी पासपोर्ट बनवाने या नवीनीकरण करने का सोच रहे हैं, तो इस नए सिस्टम के अनुरूप दस्तावेज़ तैयार रखें और नई तकनीकों का फायदा उठाएं। भारत की यह पहल वैश्विक स्तर पर डिजिटल पहचान के क्षेत्र में देश की छवि को और बेहतर बनाएगी।
इस तरह, 2025 और आने वाले वर्षों में भारतीय पासपोर्ट पूरी तरह से डिजिटल और सुरक्षित रूप से यात्रियों की पहचान और सुरक्षा का एक मजबूत माध्यम बन जाएगा।