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सामंथा प्रभु ने बताई उपवास (Fasting) की शक्ति: 'पाचन तंत्र को राहत देने का सबसे प्रभावी तरीका'

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Posted On:Monday, October 6, 2025

मुंबई, 6 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) अभिनेत्री सामंथा प्रभु (Samantha Prabhu), जो हाल के दिनों में गट हेल्थ (Gut Health) और बायोहैकिंग के प्रति अपने जुनून को लेकर चर्चा में रही हैं, उन्होंने एक बार फिर स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाई है। एक समग्र कल्याण और पुरानी बीमारी रिवर्सल विशेषज्ञ डॉ. मित्राबासु छिल्लर के साथ बातचीत में, सामंथा ने उपवास (Fasting) के पाचन तंत्र और संपूर्ण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले जबरदस्त फायदों को विस्तार से बताया।

उपवास: पाचन तंत्र के लिए एक 'राहत'

सामंथा प्रभु ने उपवास के पीछे के मूल सिद्धांत को स्पष्ट करते हुए कहा, "मेरा मानना है कि उपवास पाचन तंत्र के लिए एक तरह की राहत है, ताकि वह अपने काम को अधिक कुशलता से और सही तरीके से कर सके। अगर इसे ठीक से किया जाए, तो यह आपके पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है।"

डॉ. छिल्लर ने इस पर सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि उपवास सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक और हार्मोनल बदलाव भी लाता है। उन्होंने समझाया, "आप जो खा रहे हैं, उसके प्रति आप अधिक जागरूक हो जाते हैं। भोजन सामने होता है, लेकिन आप जानते हैं कि आपको इसे नहीं खाना है। आप अपनी भोजन की लालसाओं (food cravings) के प्रति अधिक जिम्मेदार हो जाते हैं।"

सिर्फ वजन घटाने से ज़्यादा हैं फायदे

बैंगलोर के एस्टर सीएमआई अस्पताल की पोषण विशेषज्ञ एडविना राज ने बताया कि रुक-रुक कर किया गया उपवास (Intermittent Fasting) केवल वजन कम करने से कहीं अधिक महत्वपूर्ण लाभ देता है।

हार्मोन संतुलन: यह भूख को नियंत्रित करने वाले हार्मोन जैसे घ्रेलिन (Ghrellin) और लेप्टिन (Leptin) पर सकारात्मक प्रभाव डालता है, जिससे कम खाने पर भी पेट भरा हुआ महसूस होता है।

मेटाबॉलिक स्वास्थ्य: उपवास इंसुलिन संवेदनशीलता (Insulin Sensitivity) को बढ़ाता है, जिससे शरीर कार्बोहाइड्रेट को बेहतर ढंग से सहन कर पाता है।

सेलुलर शुद्धिकरण: उपवास ऑटोफैगी (Autophagy) की प्रक्रिया को मजबूत करता है, जो कोशिकाओं की सफाई और नवीनीकरण (rejuvenate) में मदद करता है। यह लंबी और युवा आयु का समर्थन करता है।

अन्य लाभ: यह रक्तचाप को कम करने में सहायक है और वसा को ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया को तेज करता है, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है। साथ ही, इससे संज्ञानात्मक कार्य (Cognitive Function) में भी सुधार आता है।

विशेषज्ञ सलाह देती हैं कि कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने और प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को बढ़ावा देने के लिए सप्ताह में या महीने में एक बार उपवास का अभ्यास किया जाना चाहिए।

संभावित दुष्प्रभाव और बचाव के उपाय

हालांकि उपवास फायदेमंद है, लेकिन गलत तरीके से करने पर कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं, जिनमें सिरदर्द और पेट फूलना (Bloating) शामिल है।

सिरदर्द के कारण: उपवास के दौरान निर्जलीकरण (Dehydration) एक बड़ा कारण हो सकता है। इसके अलावा, उपवास तोड़ने के दौरान अचानक बड़ा या भारी भोजन खाने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट पर अधिक भार पड़ सकता है, जिससे पेट फूलने और बेचैनी की समस्या हो सकती है।

बचाव के उपाय:

उपवास के दौरान खूब पानी पीकर खुद को हाइड्रेटेड रखें।

खाने की अवधि (Eating Window) के दौरान आसानी से पचने योग्य खाद्य पदार्थों के सेवन पर ज़ोर दें।

आहार पैटर्न में अचानक बदलाव से बचें; शरीर को नई दिनचर्या के साथ तालमेल बिठाने के लिए समय दें।

मधुमेह (Diabetes) रोगियों के लिए गंभीर चेतावनी

चेन्नई स्थित श्री रामचंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च की क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट सीवी ऐश्वर्या ने मधुमेह रोगियों के लिए उपवास के खतरों के बारे में आगाह किया है।

हाइपोग्लाइसीमिया का खतरा: टाइप 1 मधुमेह या इंसुलिन/सल्फोनिलुरिया के साथ इलाज करा रहे टाइप 2 मधुमेह रोगियों में, लंबे समय तक उपवास से हाइपोग्लाइसीमिया (रक्त शर्करा का निम्न स्तर) हो सकता है, क्योंकि आहार सेवन की अनुपस्थिति में रक्त शर्करा का स्तर गिर जाता है।

DKA का खतरा: भोजन के बिना विस्तारित अवधि के दौरान, शरीर ऊर्जा के लिए वसा को तोड़ना शुरू कर देता है, जिससे कीटोन का उत्पादन होता है। टाइप 1 मधुमेह वाले व्यक्तियों में, यह डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (DKA)—एक जानलेवा स्थिति—को जन्म दे सकता है।

इसलिए, विशेषज्ञों का कहना है कि मधुमेह रोगियों में मेटाबॉलिक स्थिरता बनाए रखने और जटिलताओं को रोकने के लिए लगातार और संतुलित भोजन का समय (Consistent and Balanced Meal Timing) आवश्यक है।


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